Vivah Rekha Gyan for love (प्रेम प्रसंग और विवाहित जीवन)
कहां होती है विवाह रेखा
यह रेखाएं संख्या में जितनी होती हैं उस व्यक्ति के उतने ही प्रेम प्रसंग होते हैं। यदि यह रेखा टूटी हो या कटी हुई हो विवाह विच्छेद की संभावना होती है। साथ ही यह रेखा आपका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा यह भी बताती है। यदि रेखाएं नीचे की ओर गई हुई हों तो दांम्पत्य जीवन में आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
विवाह की आयु की गणना विवाह रेखा के माध्यम से की जा सकती है. विवाह की उम्र जानने के लिए विवाह रेखा की लम्बाई उत्पत्ति से 60 साल तक माननी चाहिए और इसके ऊपर धागे को रखकर इसे मापना चाहिए. अब एक और धागा लें और अपनी मूल विवाह रेखा पर रखें और उस बिंदु पर धागे को काट लें जहाँ से विवाह रेखा गहरी हो जाती है. उस काटे हुए धागे की लम्बाई व पूर्ण विवाह रेखा के 60 वर्षों के धागे की लम्बाई के अनुपात के अनुसार विवाह की उम्र की गणना की जा सकती है।
किसी भी स्त्री या पुरूष के प्रेम के बारे में पता लगाने के लिए उस जातक के मुख्य रूप से शुक्र पर्वत, हृदय रेखा, विवाह रेखा को विशेष रूप से देखा जाता है। इन्हें देखकर किसी भी व्यक्ति या स्त्री का चरित्र या स्वभाव जाना जा सकता है।
शुक्र क्षेत्र की स्थिति अँगूठे के निचले भाग में होती है। जिन व्यक्तियों के हाथ में शुक्र पर्वत अधिक उठा हुआ होता है। उन व्यक्तियों का स्वभाव विपरीत सेक्स के प्रति तीव्र आकर्षण रखने वाला तथा वासनात्मक प्रेम की ओर झुकाव वाला होता है। यदि किसी स्त्री या पुरूष के हाथ में पहला पोरू बहुत छोटा हो और मस्तिष्क रेखा न हो तो वह जातक बहुत वासनात्मक होता है। वह विपरीत सेक्स के देखते ही अपने मन पर काबू नहीं रख पाता है।
अच्छे शुक्र क्षेत्र वाले व्यक्ति के अँगूठे का पहला पोरू बलिष्ठ हो और मस्तक रेखा लम्बी हो तो ऐसा व्यक्ति संयमी होता है। यदि किसी स्त्री के हाथ में शुक्र का क्षेत्र अधिक उन्नत हो तथा मस्तक रेखा कमजोर और छोटी हो तथा अँगूठे का पहला पर्व छोटा, पतला और कमजोर हो, हृदय रेखा पर द्वीप के चिह्न हों तथा सूर्य और बृहस्पति का क्षेत्र दबा हुआ हो तो वह शीघ्र ही व्याकियारीणी हो जाती है।
यदि किसी पुरूष के दाएँ हाथ में हृदय रेखा गुरू पर्वत तक सीधी जा रही है तथा शुक्र पर्वत अच्छा उठा हुआ है तो वह पुरूष अच्छा व उदार प्रेमी साबित होता है। परन्तु यदि यही दशा स्त्री के हाथ में होती है तथा उसकी तर्जनी अँगुली अनामिका से बड़ी होती है तो वह प्रेम के मामले में वफादार नहीं होती है। यदि हथेली में विवाह रेखा एवं कनिष्ठा अँगुली के मध्य में दो-तीन स्पष्ट रेखाएँ हो तो उस स्त्री या पुरूष के उतने ही प्रेम सम्बन्ध होते हैं।
यदि किसी पुरूष की केवल एक ही रेखा हो और वह स्पष्ट तथा अन्त तक गहरी हो तो ऐसा जातक एक पत्निव्रता होता है और वह अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम भी करता है। जैसा कि बताया गया है कि विवाह रेखा अपने उद्गम स्थान पर गहरी तथा चौड़ी हो, परन्तु आगे चलकर पतली हो गई हो तो यह समझना चाहिए कि जातक या जातिका प्रारम्भ में अपनी पत्नि या पति से अधिक प्रेम करती है, परन्तु बाद में चलकर उस प्रेम में कमी आ गई है।
इन महत्वपूर्ण रेखाओं में जीवन रेखा, भाग्य रेखा, हृदय रेखा, मणिबंध, सूर्य रेखा और विवाह रेखा शामिल हैं।
हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार विवाह रेखा से किसी भी व्यक्ति के विवाह और प्रेम प्रसंग पर विचार किया जाता है।
*अगर आपके गुरु पर्वत पर क्रॉस का साइन है और आपका विवाह रेखा भी एकदम स्पष्ट और सीधा है तो यह आपके प्रेम विवाह होने के योग को बताता है।
*अगर आपके भाग्य रेखा चंद्र के क्षेत्र से प्रारंभ होकर समिति क्षेत्र पर पहुंचती है तो यह भी प्रेम विवाह के योग को बताता है।
*अगर आपके हाथ में ह्रदय रेखा गुरु के क्षेत्र तक पहुंचती है या फिर ऊपर उठी होती है तो यह भी आपके भावुकता की ओर इशारा करता है और बताता है कि आप प्रेम विवाह ही करेंगे।
*अगर आपका मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से अलग चल रहा है तो यह आपके जिद्दीपन को बताता है और बताता है कि आप अपने मनपसंद साथी से ही शादी करना पसंद करेंगे।
- यदि विवाह रेखा के आरंभ में दो शाखाएं हो तो उस व्यक्ति की शादी टूटने का भय रहता है।
- यदि किसी स्त्री के हाथ में विवाह रेखा के आरंभ में द्वीप चिन्ह हो तो उसका विवाह किसी धोखे से होगा।
- यदि बुध पर्वत से आई हुई कोई रेखा विवाह रेखा को काट दे तो उस व्यक्ति का वैवाहिक जीवन परेशानियों भरा होता है।
- यदि विवाह रेखा रिंग फिंगर (अनामिका) के नीचे सूर्य रेखा तक गई हो तो उस व्यक्ति का विवाह किसी विशिष्ट व्यक्ति से होता है।
- विवाह रेखा देखते समय शुक्र पर्वत (अंगूठे के नीचे वाला भाग शुक्र पर्व कहलाता है। इसका क्षेत्र जीवन रेखा तक होता है।) पर भी विचार किया जाना चाहिए।
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