Shani ke mantra – shani dev mantra | mantra of shani dev, shani beej mantra | शनि मंत्र हिंदी में। रातों रात चमका देंगे किस्मत।

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शनि मंत्र –

‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:’।

शनि का एकाक्षरी मंत्र –

‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ जप संख्या- 23000।

 महामृत्युंजय मंत्र –

का सवा लाख जप (नित्य १० माला, १२५ दिन) करें- 
ऊँ त्रयम्बकम्‌ यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योमुर्क्षिय मामृतात्‌। 

शनि के निम्नदत्त मंत्र –

का २१ दिन में २३ हजार जप करें –
ऊँ शत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोभिरत्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।   

पौराणिक शनि मंत्र –

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।
शनि की शान्ति के लिए उपाय।

वैदिक मंत्र –

ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंय्यो रभिस्त्रवन्तु नः। पौराणिक मंत्र- ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

तंत्रोक्त मंत्र –

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। जप संख्या- 23000। शनि गायत्री- ॐ भग्भवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो सौरी:प्रचोदयात।

स्तोत्र शनि के निम्नलिखित स्तोत्र –

 स्तोत्र शनि के निम्नलिखित स्तोत्र का 11 बार पाठ करें या दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।
कोणरथः पिंगलो बभ्रुः कृष्णो रौद्रोन्तको यमः सौरिः शनिश्चरो मन्दः पिप्पलादेन संस्तुतः॥   तानि शनि-नमानि जपेदश्वत्थसत्रियौ। शनैश्चरकृता पीडा न कदाचिद् भविष्यति॥ 

साढ़साती पीड़ानाशक स्तोत्र –

पिप्पलाद उवाच –   नमस्ते कोणसंस्थय पिड्.गलाय नमोस्तुते। नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते॥   नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च। नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥   नमस्ते यंमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुते॥ प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥ औषधिप्रति शनिवार सुरमा, काले तिल, सौंफ, नागरमोथा और लोध मिले हुए जल से स्नान करें।

दान की वस्तुएं- लोहा, तिल, उड़द, सरसों का तेल, काला वस्त्र, काली गाय, कुल्थी, लौह निर्मित पात्र, जूता, भैंस, कस्तूरी, सुवर्ण, नारियल, काले अथवा नीले पुष्प। रत्न- शनि के शुभत्व में वृद्धि हेतु नीलम रत्न धारण किया जाता है।

अन्य उपाय- शनिवार का व्रत रखना चाहिए। शिव स्तोत्र व शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शनि यंत्र धारण करना चाहिए। हनुमान जी की उपासना से भी लाभ होता है। पक्षियों व मछलियों को आटा डालना व मांसादि का परहेज करना चाहिए।

दान- तिल, तेल, कुलित्‍थ, महिषी, श्याम वस्त्र।

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