Shadi me rukavat aane ke karan

                     || शादी_में_रुकाबटे_आने_के_कारण ||                                             

          शादी योग्य उम्र होने पर शादी के लिए वर-वधु देखे जाते है, लेकिन शादी के लिए लड़का लड़की पसन्द का न मिलना, या अन्य दिक्कते शादी होने में आती रहना जिस कारण शादी होने के समय मे देर होती रहना आदि दिक्कत रहती है। कुंडली का सातवाँ भाव इस भाव का स्वामी और कारक लड़के के लिए शुक्र लड़की के लिए या लड़की की कुंडली मे गुरु यह सब देखे जाते है। शादी होने में रुकाबटे आते रहना या रिश्ते बहुत कम आना। यह सब सातवें भाव, इस भाव के स्वामी और कारक ग्रह के पीड़ित, अस्त होने, खराब होने से 6,8 भाव के स्वामी से युक्त होने से , शनि राहु  केतु के प्रभाव में आकर पीड़ित होने से शादी होने में दिक्कते आती है, जब सप्तम भाव का स्वामी और कारक ज्यादा पीड़ित हो तब ज्यादा दिक्कते आती है क्योंकि कोई भाव हो कुंडली का उसको ताकत भाव के स्वामी और भाव के कारक से मिलती है। यदि सप्तम भाव का स्वामी और कारक बलवान होगा तो परेशानियां ज्यादा नही आएगी पीड़ित या अशुभ प्रभाव से पीड़ित होने पर, समय के साथ सब खुद ही खत्म होकर रास्ता मिल जाएगा लेकिन यदि सप्तम भाव का स्वामी और कारक बलहीन हुआ तब दिक्कते ज्यादा आएगी।अब कुछ उदाहरण सहित  बात करते है।। 




                                                   
            #उदाहरण 1:-  माना किसी जातक की वृष लग्न की कुंडली है इसमें सप्तम भाव का स्वामी मंगल बनेगा और कारक शुक्र बनेगा क्योंकि जातक(लड़का) है तो यदि अब मंगल अस्त हो गया हो और कमजोर हो या आठवे/छठे भाव में जाकर इन्ही भावो के स्वामी के साथ हो तब शादी होने में दिक्कते आएगी परेशानियां रहेगी। शुक्र भी कमजोर या पीड़ित हुआ तब दिक्कते ज्यादा होगी। और यदि सप्तम भाव का स्वामी और शुक्र बलवान हुए लेकिन कुछ पीड़ित हुए तब ज्यादा दिक्कते नही आएगी काम बन जायेगा कम दिक्कत से।।
                                               

            #उदाहरण 2:- माना अब किसी जातिका की कुंडली मीन लग्न की हो जो कि यहाँ सप्तमेश बुध बनेगा और कारक गुरु। अब यदि बुध पीड़ित हुआ जैसे कि बुध पर शनि की दृष्टि हुई आदि तो दिक्कते शादी होने में जरूर आएगी। दिक्कते किस स्तर तक होगी यह बुध और गुरु कितने ज्यादा खराब उस पर निर्भर करेगा।।       
         



       
  इसी तरह अगर सप्तम भाव में बहुत ज्यादा पाप/क्रूर ग्रह बैठे हो मंगल, शनि, राहु, केतु, सूर्य, जैसे या इनमे से 2 से 3 ग्रहो की दृष्टि सप्तम भाव पर हो तो भी इसी तरह की दिक्कते आएगी ऐसी स्थिति में दिक्कत करने वाले ग्रहो की शांति उपाय और सप्तम भाव के स्वामी और कारक ग्रह को बलवान करना ही एक मात्र उपाय होता है।

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